भारत की जलवायु |
जलवायु(Climate )
वायुमंडल की वह अवस्था लम्बे वर्षों तक सामान रहती है
मौसम(Weather)
वायुमंडल की वह अवस्था जो जल्दी जल्दी बदलती है
भारत की जलवायु - उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु
मानसून - मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसिम शब्द
से हई है जिसका अर्थ हवाओ की दिशा ऋतुओं में के अनुसार बदल जाना
किसी भी स्थान या देश की जलवायु -
उस स्थान की समुद्र से दूरी कितनी है।
वो स्थान किस अक्षांश पर स्थित है
उस स्थान की ऊंचाई क्या है
वहा पर पहाड़ो की स्थिति कैसी है
भारत में ऋतु -
एक निश्चित समय पर क्रमिक रूप से होने वाले परिवर्तन को ऋतु कहते है
1 बसंत ऋतु
2 ग्रीष्म ऋतु
3 वर्षा ऋतु
4 शरद ऋतु
5 हेमंत ऋतु
6 शीत ऋतु
ग्रीष्म ऋतू :
ग्रीष्म ऋतू में सूर्य कर्क रेखा के लंबवत होने के कारण भारत के पश्चिमी भाग में अत्यधिक तापमान बड़ जाता है जिससे भारत में निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है इसके विपरीत हिन्द महासागर में तापमान काम होने से उच्च दाब वाली पवने भूमध्य रेखा पार कर भारत के स्थल भाग की तरफ बढ़ने लगती है
ये पवने समुद्र से होकर आती है जिस वजह से अपने साथ जलवाष्प भी ले आती है
दक्षिण पश्चिमी मानसून (june-sep)
- अरब सागर का दक्षिण पश्चिमी मानसून जब भारत के स्थल के पास पहुँचता है तो 3 शाखाओ में बट जाता है
- पहली शाखा केरल तट पर 1 जून को पहँचता है ये मानसूनी पवने पश्चिम घाट से टकराती है और बारिश उत्पन्न करती है (पश्चिमी घाट की पूर्वी ढलान पर अपेक्षाकृत कम वर्षा देखने को मिलती है)
- तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश अरब सागर के दक्षिण पश्चिमी मॉनसून के वृष्टि छाया क्षेत्र में स्थित है इस लिए यहाँ पर इस मानसून का प्रभाव नहीं देखने को मिलता है
- दूसरी शाखा 5 -10 जून के आस पास मुंबई तंट से भारत में प्रवेश करती है और मध्य भारत में अच्छी वर्षा करती है पर इसका प्रभाव छत्तीसगढ़ के बेसिन क्षेत्र में नहीं देखने को मिलता है
- अरब सागर की तीसरी शाखा गजरात के सौराष्ट्र से प्रवेश करती है अरवली के सहारे आगे बढ़ती है राजस्थान में कुछ वर्षा कर पजाब पहुँचती है जहा बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी पवनो के साथ मिल पश्चिमी हिमालय में वर्षा उत्पन्न करती है
बंगाल की खाड़ी की दक्षिण पश्चिमी मानसूनी पवने
ये पवने बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़कर बांग्लादेश और म्यांमार के तटीय भाग से टकराती है। म्यांमार तट पर स्थित अरकान की पहाड़ियों से ये पवने विक्षेपित होकर भारत की तरफ मुड़ जाती है और इसकी एक शाखा पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के दक्षिण पूर्व से प्रवेश करती है जो गंगा के मैदान पंजाब के अरकान की मैदान में बारिश करती है
- दूसरी शाखा उत्तर पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी में वर्षा करती हैं इसके तहत मेघालय के गारो पर्वत शिखर पर स्थित मॉसिनराम में अधिक वर्षा उत्पन्न होती है
- मॉसिनराम में विश्व की सबसे अधिक औसत वार्षिक वर्षा दर्ज की जाती है
- मॉसिनराम भारत का सबसे आर्द्र स्थान है मॉसिनराम में सर्वाधिक वर्षा का कारण वहा उपस्थित पर्वतो की किप आकृति है।
शीत ऋतू :
शीत ऋतू में सूर्य मकर रेखा के लंबवत होने के कारण भारत के उत्तर पूर्व भाग में तापमान कम हो जाता है जिससे भारत में उच्च दाब का क्षेत्र बन जाता है इसके विपरीत हिन्द महासागर में तापमान अधिक होता है अर्थात निम्न बाद क्षेत्र बन जाता है तब उच्च दाब वाली पवने भारत के उत्तर पूर्व से हिंद महासागर की तरफ बढ़ने लगती है यही से उत्तर.पूर्व मानसून की शुरुआत होती है
तमिलनाडु वर्षा ऋतू में शुष्क क्यों रहता है -
कारण 1 - तमिलनाडु दक्षिण पश्चिम मानसून की अरब सागर शाखा के वृष्टि छाया क्षेत्र में स्थित है
कारण 2 - तमिलनाडू तट बंगाल की खाड़ी की मानसूनी पवनो के समानांतर स्थित है
रबी की फसल -
कम तापमान में बोई जाती है ex. गेहू, मटर, सरसो, चना
खरीब की फसल -
वर्षा के समय बोई जाती है ex. चावल, बाजरा, मूंगफली, सोयाबीन, उड़द, कपास
- भारत पश्चिमी विक्षोभ गेहू की फसल के लिए बहते फायदेमंद होता है
भारत में वर्षा के आकड़े
- भारत में औसत वार्षिक वर्षा 125 cm होती है
- भारत के 35% भाग पर 75 cm से कम वर्षा होती है
सबसे अधिक वर्षा( 400 cm से अधिक वर्षा )
-पश्चिमी घाट, मेघालय उत्तर पूर्व के उप हिमालयी क्षेत्र में
सबसे कम वर्षा (20 cm से कम वर्षा)
पश्चिमी राजस्थान लद्दाक लेह में
Note :
-जिस स्थान पर 100 cm से अधिक वर्षा होती है उन राज्यों में चावल की खेती की जाती है भारत के पूर्वी भाग में पश्चिमी भाग की तुलना में अधिक वर्षा होती है
आम वर्षा
→ ग्रीष्म ऋतू के खत्म होते ही मानसून के आने से पहले बिहार और पश्चिम बंगाल में वर्षा देखने को मिलती है जो आम की फसल के लिए बहुत उपयुक्त होती है इस लिए इसे आम वर्षा कहा जाता है
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